चिंता चिता ( एक कविता उनके लीये जों आज बहुत परेशान हें)
चिंता और चिता
चिंताओ का आकाश बड़ा विशाल
तारो की संख्या इनका आधार|
देखने में लगते छोटे ये
पर बड़ा हे इनका विस्तार|
चिंता चिता का दूसरा रूप हें
बिंदु मात्र फरक इनकी पहेचान हें|
चिंता कमजोर करती आदमी को
चिता भस्म करती आदमी को
दोनों एक सामान हें
क्योकि चिंता चिता का दूसरा नाम हें|
अगर चिंता से लड़ना हे
अगर प्हेलाद बनना हें
मन को शुन्य करना होगा
विशवास को जागृत करना होगा
अपनी हिमत बढ़ानी होगी
अपनी शर्म भगानी होगी
विशवास को जागृत करना होगा
मन को शक्तिशाली बनाना होगा
क्योकि चिंता चिता का दूसरा नाम हें
हमारी खुश्यो का यमराज हें|
बस तुझको इतना करना होगा
चिंता चिता से, शांत मन से लड़ना होगा
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