अपने( एक कविता जो सिर्फ अपनों के लिए सोचती हें) अपने मन उदास हें पर क्यों ? शायद कुछ सोचकर यार सोचता क्यों हें ? चार पल की चांदनी दो पल का जीना तो क्या इसके लिए अपनों को भूल जाये ? नहीं भूल सकते तो सोचना ही होगा मोह माया में फसना ही होगा नहीं तो जीवन शादुओ सा बिताना होगा |
No comments:
Post a Comment