कविता ( एक कविता उनके लिए जो प्यार में फील करते हे बहुत अकेला )
कविता
दिल क्यों अकेला कभी कभी
आँखों में आंशु कभी कभी |
हजारो हे आस पास
फिर भी ये दिल अकेला कभी कभी |
तुमपर विशवास जान से भी जादा
फिर भी ये अकेला कभी कभी |
शायद ये ही किस्मत हे मेरी कविताओ की
इसलिए में लिखता हु कभी कभी |
जब में पहेली बार मिला था
अब ये पहेले जेसी नहीं रही |
तब मेरी कविता बहुत खुबसूरत थी
अब ये रोती हे कभी कभी |
मत रो मेरी कविता
क्योकि में रोता भी हु कभी - कभी |
मेरी कविता खुबसूरत नहीं
क्योकि इसमें कोई रंग नहीं |
कौन पढ़ेगा तुझे
कौन समझेगा तुझे
क्यों लिखा गया तुझे |
तब में नहीं बताऊंगा, की में
क्यों रोता हु कभी कभी |
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