पहला प्यार ( एक कविता लव फर्स्ट टाइम )
पहला प्यार
दिल से जो आह निकली हें,
हर आह तेरे नाम सी लगती हें|
तुम दिल की गहरायो में इस कदर समाई हो,
लगता हे मेरे लये बनाई हों |
इतना प्यार जो मेरे दिल में बसा तेरे लिए,
ये सचाई हे या धोका मेरे लिए |
पहेली नजर में दिल तुमपे मरने लगा,
धीरे धीर प्यार का अहसाश बढ़ने लगा|
आज कल तुम मुझे बहुत परेसान करती हो,
सपनो में आके छेड़ा करती हों|
और सुबह आँखे जब खुलती हें,
तो एक मुस्कान बन तुम ही याद आती हों |
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